गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु (Guru Brahma Guru Vishnu Lyrics in Hindi) श्लोक गुरु की महिमा का वर्णन करता है। इस श्लोक में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना गया है, जो सृष्टि की रचना, पालन और संहार करने वाले हैं। भक्तजन इसे श्रद्धापूर्वक गाते या पाठ करते हैं ताकि अपने जीवन में गुरु के मार्गदर्शन का महत्व समझ सकें।
यह श्लोक अक्सर पूजा, सत्संग और भजन संध्याओं में गाया जाता है। यदि आप Guru Brahma Guru Vishnu Lyrics या गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु श्लोक हिंदी में ढूँढ रहे हैं, तो यहाँ इसका पूरा पाठ उपलब्ध है।
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु पूरा श्लोक (Guru Brahma Guru Vishnu Lyrics in Hindi)
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः ।
गुरूर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ।।
अर्थ : गुरू ही ब्रह्मा हैं, गुरू ही विष्णु हैं । गुरूदेव ही शिव हैं तथा गुरूदेव ही साक्षात् साकार स्वरूप आदिब्रह्म हैं । मैं उन्हीं गुरूदेव के नमस्कार करता हूँ ।
ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामूलं गुरोः पदम् ।
मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ।।
अर्थ : ध्यान का आधार गुरू की मूरत है, पूजा का आधार गुरू के श्रीचरण हैं, गुरूदेव के श्रीमुख से निकले हुए वचन मंत्र के आधार हैं तथा गुरू की कृपा ही मोक्ष का द्वार है ।
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।
अर्थ : जो सारे ब्रह्माण्ड में जड़ और चेतन सबमें व्याप्त हैं, उन परम पिता के श्री चरणों को देखकर मैं उनको नमस्कार करता हूँ ।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव ।।
अर्थ : तुम ही माता हो, तुम ही पिता हो, तुम ही बन्धु हो, तुम ही सखा हो, तुम ही विद्या हो, तुम ही धन हो । हे देवताओं के देव ! सद्गुरुदेव ! तुम ही मेरा सब कुछ हो ।
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् ।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं
भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरूं तं नमामि ।।
अर्थ: जो ब्रह्मानन्द स्वरूप हैं, परम सुख देने वाले हैं, जो केवल ज्ञानस्वरूप हैं, (सुख-दुःख, शीत-उष्ण आदि) द्वंद्वों से रहित हैं, आकाश के समान सूक्ष्म और सर्वव्यापक हैं, तत्वमसि आदि महावाक्यों के लक्ष्यार्थ हैं, एक हैं, नित्य हैं, मलरहित हैं, अचल हैं, सर्व बुद्धियों के साक्षी हैं, सत्व, रज, और तम तीनों गुणों के रहित हैं – ऐसे श्री सद्गुरुदेव को मैं नमस्कार करता हूँ ।
ऋषि कहते हैं –
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
जो ब्रह्मा की नाईं हमारे हृदय में उच्च संस्कार भरते हैं, विष्णु की नाईं उनका पोषण करते हैं और शिवजी की नाईं हमारे कुसंस्कारों एवं जीवभाव का नाश करते हैं, वे हमारे गुरु हैं। फिर भी ऋषियों को संतोष नहीं हुआ अतः उन्होंने आगे कहाः
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
ब्रह्मा जी ने तो सृष्टि की रचना की, विष्णु जी ने पालन-पोषण किया और शिवजी संहार करके नई सृष्टि की व्यवस्था करते हैं लेकिन गुरुदेव तो इन सारे चक्करों से छुड़ाने वाले परब्रह्मस्वरूप है, ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ।
Guru Brahma Guru Vishnu Lyrics in english
Shlok:
Guru Brahma Guru Vishnuh Guru Devo Maheshwarah ।
Guruh Saakshaat Parabrahma Tasmai Shri Gurave Namah ।।
Arth:
Guru hi Brahma hain, Guru hi Vishnu hain, Gurudev hi Shiv hain, aur Guru hi saakshaat aadi Brahma hain. Main unhi Gurudev ko pranam karta hoon.
Shlok:
Dhyanamoolam Guromurtih Poojamoolam Guroh Padam ।
Mantramoolam Gurorvaakyam Mokshamoolam Guroh Kripaa ।।
Arth:
Dhyan ka aadhar Guru ki moorti hai, pooja ka aadhar Guru ke charan hain, Guru ke mukh se nikle vachan mantra ka aadhar hain aur Guru ki kripa hi moksh ka dwar hai.
Shlok:
Akhandamandalakaaram Vyaaptam Yena Charaacharam ।
Tatpadam Darshitam Yena Tasmai Shri Gurave Namah ।।
Arth:
Jo saara brahmand, sab jagat aur sab jeev-jantu mein vyapt hain, un param tattva ko darshane wale Gurudev ko main pranam karta hoon.
Shlok:
Tvameva Maataa Cha Pitaa Tvameva Tvameva Bandhushcha Sakhaa Tvameva ।
Tvameva Vidyaa Dravinam Tvameva Tvameva Sarvam Mama Deva Deva ।।
Arth:
Aap hi meri maa hain, aap hi mere pita hain, aap hi mere mitra aur bandhush hain. Aap hi vidya hain, dhan hain aur sab kuchh hain. He Devon ke dev! Guruji, aap hi mera sab kuchh hain.
Shlok:
Brahmaanandam Paramasukhadam Kevalam Jnaanamurtim ।
Dvandvaateetam Gaganasadrisham Tattvamasyadilakshyam ।।
Ekam Nityam Vimalamachalam Sarvadhisaakshibhootam ।
Bhaavaatitam Trigunarahitam Sadgurum Tam Namaami ।।
Arth:
Jo Brahmaanand swaroop hain, param sukh dene wale hain, jo keval gyaan swaroop hain, sukh-dukh, sheet-ushn jaisi dvandvon se rahit hain, aakash ki tarah vyapak aur sukshm hain, jo mahavaakya “Tat Tvam Asi” ka lakshya hain, ek hain, nitya hain, nirmal hain, achal hain, sab buddhi ka saakshi hain aur teenon gunon (sattva, rajas, tamas) se rahit hain – aise Shri Sadgurudev ko main pranam karta hoon.