Ganesh Aarti Lyrics In Hindi II गणेश जी की आरती हिंदी में

भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य, पूजा या आराधना की शुरुआत गणपति बप्पा के स्मरण से की जाती है। गणेश जी की आरती गाने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है। भक्तजन विशेषकर बुधवार और गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की आरती गाते हैं।

इस लेख में हम आपके लिए गणेश जी की प्रसिद्ध आरती के बोल (Lyrics) सरल हिंदी में लेकर आए हैं, जिसे पढ़कर और गाकर आप भगवान गणेश की कृपा पा सकते हैं।

Ganesh Aarti Lyrics In Hindi II गणेश जी की आरती हिंदी में
Ganesh Aarti Lyrics In Hindi II गणेश जी की आरती हिंदी में

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

गणेश जी की आरती का अर्थ

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

हे गणेश जी! आपकी जय हो। आप माता पार्वती और भगवान महादेव (शिवजी) के पुत्र हैं।

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

आप एकदंती हैं (एक दाँत वाले), दयालु हैं, आपकी चार भुजाएँ हैं। आपके मस्तक पर सिंदूर शोभित है और आपकी सवारी मूषक (चूहा) है।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

भक्त आपको पान, फूल, मेवा चढ़ाते हैं और आपके प्रिय लड्डू का भोग लगाया जाता है। संतजन आपकी भक्ति और सेवा करते हैं।

अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

आप अंधों को आँखें देते हैं, कोढ़ (कुष्ठ) रोगियों को स्वस्थ शरीर प्रदान करते हैं। निःसंतान को संतान का सुख और निर्धनों को धन-संपत्ति देते हैं।

सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

सूरदास (कवि) और सभी भक्त आपकी शरण में आते हैं। हे गणेश जी! उनकी सेवा सफल कीजिए। आप माता पार्वती और महादेव के पुत्र हैं।

सारांश

इस आरती में भगवान गणेश जी की स्तुति की गई है। वे करुणामय, दयालु और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं। उनके पूजन और आरती से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और संतोष मिलता है।

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